तो मोहब्बत है !
तो मोहब्बत है ! जुबां को कहना पड़े फिर इश्क़ कैसा ? आंखों से बयां हो, तो मोहब्बत है ! ग़ुरबत में सजदे लाज़िमी हैं मगर उसकी भी दुआ हो, तो मोहब्बत है ! दार के दरवाजों से लेकर दरीचों तक सब, खुले के खुले रहते हैं। उसके दर पे दस्तक देने से भी, वो गर मुझसे जुदा हो, तो मोहब्बत है ! समंदर के थपेड़ों ने डुबोई हैं, ना जाने, कितनी ही कश्तियां, फिर भी अब किसी कश्ती का दिल बलखाती लहरों पे ही फ़िदा हो, तो मोहब्बत है ! जमीन पर टूट कर बिखरते हैं शाख़ों से पत्ते, आंधियों के चलने से। मगर मुरझायी कलियाँ, जब हवा के झोंकों से जवां हो, तो मोहब्बत है ! मेरी तक़लीफों को भी, कोई तक़सीम करे मगर, यह मुमकिन ही कहां लिए फिरते हैं, हंसी होंठो पे जो, दिल उनका दुखा हो, तो मोहब्बत है ! संजीव शाकिर ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK- http://www.facebook.com/sanjeevshaakir YOUTUBE- https://youtu.be/vLT-KbE83os ....................................................................✍️