तो मोहब्बत है !

तो मोहब्बत है !



जुबां को कहना पड़े फिर इश्क़ कैसा ?

आंखों से बयां हो, तो मोहब्बत है !

ग़ुरबत में सजदे लाज़िमी हैं मगर 

उसकी भी दुआ हो, तो मोहब्बत है !


दार के दरवाजों से लेकर दरीचों तक

सब, खुले के खुले रहते हैं।

उसके दर पे दस्तक देने से भी, 

वो गर मुझसे जुदा हो, तो मोहब्बत है !


समंदर के थपेड़ों ने डुबोई हैं,

ना जाने, कितनी ही कश्तियां, फिर भी

अब किसी कश्ती का दिल 

बलखाती लहरों पे ही फ़िदा हो, तो मोहब्बत है !


जमीन पर टूट कर बिखरते हैं

शाख़ों से पत्ते, आंधियों के चलने से।

मगर मुरझायी कलियाँ, जब

हवा के झोंकों से जवां हो, तो मोहब्बत है !


मेरी तक़लीफों को भी, कोई तक़सीम करे

मगर, यह मुमकिन ही कहां

लिए फिरते हैं, हंसी होंठो पे जो, 

दिल उनका दुखा हो, तो मोहब्बत है !


संजीव शाकिर

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Comments

  1. बहूत खूब,

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  2. बहूत खूब,

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  3. Exactly
    Lekin kavi kavi bol dena v lazmi hai

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  4. Beautiful explanation on Mohabbat 😍

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  5. heart touching lines beautiful

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  6. बहुत अच्छा भाई जी������������

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  7. बहुत सुंदर👌👌👌👌

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  8. आपने शब्दों का बहुत ही खूबसूरत तरीक़े से सही स्थान पर प्रयोग किया है। यह पूरी तरह से हक़ीक़त से रूबरू करता है।
    नमन।

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    1. आपके स्नेह और सौहार्द्र के आभार

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  9. very nice, बेहतरीन नगमा है sir ji

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  10. Bahut hi umda likha hai aapne sir. Best of luck aage bhi likhte rahe.

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    1. हौसला आफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया भाई जी.....🙏

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  11. सर मोहोबत हो गयी आपकी लाकिरोंसे

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    1. आपकी भी जिंदादिली की तारीफ करनी होगी, कमाल हैं आप।

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  12. बहुत खूबसूरत दिल को छूने वाली

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका 🙏

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SANJEEV SHAAKIR

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