बैंकवा में का बा.....

का बा...
बैंकवा में का बा...

मेहरारू पंजाब में बाड़े 
लड़का पढ़त बा दिल्ली मा 
हम ससुरा रांची में बानी 
का रखल बा जिनगी मा 
ई भागदौड़ धूपाधापी 
जिव के बड़का जंजाल भइलबा
जन्मभूमि बिहार रहिल, 
जिंदगी ससुरा बंगाल भइलबा

का बा...इहवां...

दुई रोटी के चक्कर में 
भारत भ्रमण पर निकलल बानी 
जमा निकासी लोन सोन के 
चक्रव्यूह में जकड़ल बानी 
बीबी, बच्चा, गांव, देश 
छोड़ छाड़ पगलायल बानी 
सरकारी नौकरी के लाने
बैंकवा में आयल बानी

ना तो बैंकवा में का बा

का बा हो, रउवा तो तीसन साल से बानी, 
कुछ मीलल... का ट्रांसफर...
उ तो मिलबे करी, और कुछ ना मिलल, 
आंय, ना मिलल... मिलबो ना करी


पासबुक, डी-डी, एफडी
छपतय छपतय मरजाईब हम
  हे चाचा,ले जा हो, केकर है, 
गला फार चिल्लाईब हम
 येतनव पे जब ना सुननी 
तब धीरे धीरे बौराईब हम
 ऊ दिन बबुआ दूर नईखे 
जब फोटू में टग जाईब हम

 रख लिहा "दू" मिनट के मौन फिर...
  राम नाम सत्य है...


लॉगिन डे, महा लॉगिन डे 
कौनव ना कौनव दिन बा रोज
बुड़बक बनइके पॉलिसी चिपकावा 
अउर का तू करबा दोस
 एसआईपी जीवन बीमा कै 
कोर बैंकिंग से टक्कर बा
जमा-निकासी में का रखल बा 
इहां फौरन ट्रिप के चक्कर बा

बेचबा तो जाए के मिली...
कहां हो, 
विदेश...हा हा हा हा हा...
इहां साला पासपोर्टय नाईखे...

केसीसी और जेएलजी के 
बड़का बड़का टारगेट बा
रिकवरी साला के देखत बा 
इहवां घूसखोरी के मार्केट बा
 चाचा मऊसा सबका मिलल, 
किसान दुकानदार छूट गईल
नकली वाले असली बनके 
असली वालेन का लूट गईल
माल्या, मोदी, जाने कितना 
अरबन-खरबन लै के भाग गईल
ईहां 3 रुपया के पेन डोरी बांध के 
मैनेजर साहब टांग गईल

हे खीचा ना हो, टूट जाई तो दूसर पेनो नइखे,
गरीबी ना है हो, इका कॉस्ट कटिंग कहल जाला...

बीपी शुगर हाइपरटेंशन 
सैलरी के साथ इंसेंटिव बा
केतनव फिट रहला मिल बे करी 
100% गारंटी बा
नोटबंदी जनधन खाता में 
दिन-रात बैंकर सूख गईल
फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर में 
बैंकरय बाबू छूट गईल

का हो, इसेंशियल सर्विस, 
अउर चिपकावा स्कूटी पे, 
थाली बजावे से नाम होई, काम करे से ना...

एग्जीक्यूटिव, आला अधिकारी कै 
अपनय साला नाटक बा
जी हुजूरी ना करबया जो 
ट्रांसफर तमिलनाडु कर्नाटक बा

जा अब, खा खूब इडली-डोसा,
उहां खुल के मिली, पिया अउर जिया, 
बिना बाल बच्चा...

ट्रांसफर के भैया का बतलाई 
अलगय लेबल के खेला बा
पॉलिसी ससुरा का कर लेई 
ईहां जात-पात के मेला बा
रिक्वेस्ट लेटर में का लिखीं हम, 
घर-बार सब ऑलराइट बा
मनचाहा मिलबो ना करी 
ड्राई स्टेट में सप्लाई टाइट बा

लेकिन भैया घर-घर होला 
जहां माई बाबू बाट जोहला
पैसा कौड़ी कोने काम कै बा 
जब अर्थी के कंधा ना होला

हाथ जोड़ के अहै निवेदन 
अधिकारी और सरकार से
करीं कौनव जतन अबकी बारी, 
बस मिलाई दीं परिवार से

ना तो दंगल शुरू हो जाई 
फिर धरना अउर हड़ताल से
वर्क टू रूल कै बिगुल बजे फिर 
अम्बर अउर पाताल से

जीरो से लेकर हीरो तक 
सब लोगन का साथ देवे का पड़ी
प्यार से हक जो ना मिली 
लड़ के भाइया फिर लेवे का पड़ी

चला भैया चला,लगायिला सब लोग जुगाड़ पानी, 
सीजन आई गईल बा, 
कहूं ना कहूं तो जाईन का परी.....

हेने ना तो होने.....चला चला चला हो.....


संजीव शाकिर

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संजीव शाकिर


Comments

  1. Replies
    1. Mai ranjeet kumar chapra
      Sir aap monstar hai
      Sona me v chand chhupa hai

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  2. Mind Blowing ...Gajab ...Keep it up 👍👍

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  3. मस्त मजेदार व्यंग ,👌👌👌👌👌👏👏👍👍👍👍👍लिख कर अति आनंद की अनिभूति प्रदान किया आपने सभी को ,इसके लिए धन्यवाद।

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  4. Shaandaar Zabarzast Zindaabaad
    Iska video version you tube pe dale bahut viral hoga. Bankers ke sangharsh ko shabdo me bahut acchhe tarike se darshaya gaya hai.
    Hats off to you sir.

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    Replies
    1. सबसे पहले तो शुक्रिया भाई जी 🙏
      & For video version, very soon you would get this on Youtube 🙏

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  5. Bahut accha Haasya Vyang... 👏👏👏👏👏👏👏

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  6. वाह क्या कलम की चोट हैं Sir ji

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  7. Maza aa gaya ,very well done sir

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  8. बेहतरीन व्यंग्य भाई, सिस्टम को आईना दिखाती रचना👌

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SANJEEV SHAAKIR

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