इब्तिदा-ए-इश्क़
इब्तिदा-ए-इश्क़ |
तुम्हारे दूर चले जाने से तुम्हें खोने का डर बना रहता है
क़रीब तुम बैठे भी रहो तो यक़ीनन मेरा घर बना रहता है
तुझे ख़ौफ़ है किस बात का जान जब क़दम क़दम पर हूं साथ तेरे
रख हौसला और फिर देख तू कैसे ये हसीं सफर बना रहता है
महज़ बातों का मेरे ख़्याल छोड़ जरा जज्बातों पर भी गौर कर
तक़लीफ़ो में भी जो साथ हो, बेशक वो हमसफ़र बना रहता है
दरख़्तों की डालियां जो तुझे छांव देने के ख़ातिर हैं झुकी हुई
वो मुस्कुरा लें कितना भी पर ग़ालिबन दर्द-ए-जिगर बना रहता है
तू साथ है, मेरा अक्स बन कर और मेरे अश्कों में है घुली हुई
हो हर्फ़ जुदाई की जैसे ही पलकों पर समंदर बना रहता है
तेरे हुस्न पे मैं मायल हूं और तेरी सीरत का मैं कायल भी
पिघलती मोम में भी जलने का, जलाने का हुनर बना रहता है
पतझड़ ने जिन पेड़ों को उनकी पत्तियां लूट कर बेआबरू किया
मौसम के करवट बदलते ही बसंत में वही शजर बना रहता है
उन चार लोगों की है बिसात क्या? यार! अब तेरे मेरे दरमियां
जिनकी जुबां कितनी भी शक्कर हो पर दिल में ज़हर बना रहता है
आ, तू पास आ, मिरे साथ चल, लिए हाथों में यूं ही हाथ मेरा
तेरे जाने के बाद भी भीनी खुशबू का असर बना रहता है
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संजीव शाकिर
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Bahut sunder
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteलाजवाब
ReplyDelete🙏
DeleteBahut Khub Bhai ji
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी 🙏
DeleteBeshak apke lafzo ka asar har paher bana rahta hai😊☺☺☺☺👏👏👏
ReplyDeleteUmda... Kaafi gehra
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete👏👏👏
ReplyDelete🤝
DeleteIncredible
ReplyDelete🙏
Delete🙏
ReplyDeleteBht khub 👌👌
ReplyDeleteबहुत अच्छा शाकिर भाई
ReplyDelete👍👍👍👍🙏🙏
लाजवाब 👍👍👍👍❤️❤️
ReplyDeleteआपकी प्रत्येक कविता में भीनी खुसबू बना रहता है यू कहे कि मोहब्बत करते वाले के लिए एक दूसरे के लिए प्यार भरा जज्बा बना रहता है। बधाई सर।
ReplyDeleteआपका प्रोत्साहन मेरे लिए प्रगति के पथ पर जलता वो मशाल है, जो रात के अंधेरे में भी रास्ता दिखाने का काम करता है। शुक्रिया।।
DeleteImpressive as always sir... 👌
ReplyDelete🙏
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