नोक-झोंक

👦   चलो डूब मरते हैं, इश्क के समंदर में।                                         

👧   तुम मरो ना, मर जाऊंगी तेरे अंदर मैं।।


👦   ये तो कोई बात नहीं,

        जो वादा किया वो साथ नहीं।

        तुम ना कहती थी तुम बड़े सच्चे हो,

        हां चेहरे से थोड़ा कम पर दिल के अच्छे हो।।

        सारी बातें भूल गई, 

        कमाल है।

        जिसे समझता था मैं जवाब

        वह खुद, इक सवाल है।।


👧   हे, रुको रुको !

        ज्यादा नहीं, हां।।

        तुम्हें कुछ याद भी रहता है,

        मैंने ऐसा कब बोला है।

        आंखों में रहने की जगह दी है,

        अभी दिल नहीं खोला है।।

        हंस के दो बातें क्या कर ली,

        इश्क समझ बैठे।

        यही मसला तुम सारे लड़कों का है,

        लड़की देखी नहीं, चालू हो गए।

        आगाज-ए-इश्क में समुंदर के रेत जैसे हैं

        अंजाम-ए-मोहब्बत में,

        अवैध खनन के बालू हो गए।।


👦    ओ-ह-हो, तो तुम्हें याद नहीं।

         खैर छोड़ो, कोई बात नहीं।।

         पिज्जा हट तो याद होगा,

         जहां हम-तुम बैठा करते थे।

         घंटों एक-दूजे संग "वक्त"

         आबाद किया करते थे।।

         हां, हां वही पिज़्ज़ा हट

         जहां एक बाइट तुम, एक बाइट मैं।

         फिर एक बाइट तुम, फिर एक बाइट में।।


👧   अच्छा वो !

        वो तुम्हारे साथ पिज्जा खाया

        वही तुम्हारी प्रॉब्लम है।

        सच्ची !

        कोई दोस्ती में इतना भी ना करें।

        जो खिलाए उसी को शेयर ना करें।।

        देखो !

        मैं इतनी भी खुदगर्ज नहीं, हां !

        आज भी ले चलोगे तो,

        आज भी शेयर करूंगी।

        दोस्ती की है तुमसे कोई मजाक थोड़ी,

        जो भी करूंगी, फेयर करूंगी।।


👦   पिज्जा में शक्कर भी डालते हैं क्या?

👧   क्यों? 

        तुम्हें मीठा लगा।

👦   हम्म......। 

        थोड़ा सा !

👧   वो ना,

        मेरी, "ऑर्गेनिक हार्वेस्ट स्ट्रॉबेरी"

        लिपस्टिक रही होगी।

        पर आज ना !

        वह नहीं है।।

👦   तो........?

👧   आज तो "ब्लू रास्पबेरी" है।

👦   मतलब........!

👧   थोड़ा खट्टा और क्या।


👦   यहां मैं, हमारी जिंदगी की बात कर रहा हूं।

       और तुम खट्टे-मीठे में उलझी हुई हो।।


👧   यही तो जिंदगी है थोड़ा खट्टा-थोड़ा मीठा।

        जी मैं उलझी नहीं, पूरी सुलझी हुई हूं।।


👦   फिर मेरा क्या ?

        मैं क्या हूं तुम्हारे लिए ?

        क्यों खेल रही हो मेरे दिल से ?

       और कोई नहीं मिला क्या ?

        क्या मैं ही मिला मुश्किल से ?


👧   अरे, नहीं बाबा नहीं !

        गुस्सा क्यों होते हो !

        तुम तो रेड चिल्ली और टोमेटो का

        मिक्स सॉस हो।

        जब भी लगाओ 

        जिंदगी खट्टा-मीठा कर देते हो।।

        अच्छा सॉरी-सॉरी

        अब मजाक बंद।

        जल्दी बोलो क्यों बुलाया था ?

        या ऐविं पिज्जा खिलाने आया था।


👦   नहीं यार अब और नहीं,

        चलो तुम्हें घर छोड़ दूंगा।

        और फिर उन गलियों से

        ताउम्र मुंह मोड़ लूंगा।।


👧   नाराज हो ?

        इतना भी सितम नहीं सकते।

        दिल में रखते ही क्यों हो ?

        जब कह नहीं सकते।।

        चलो !

        आज, तुम्हें मैं पिज्जा खिलाती हूं।

        "मैं" मतलब "मैं", मैं ही पेमेंट करूंगी।

        जो भी बिल आएगा, बेहिचक भरूंगी।।

        देखो इधर, पूरे 500 की नोट है।

        छूमंतर हो जाएगी,

        दिल में, जो भी लगी चोट है।।


👦   500 की नोट !

        वही, 500 की नोट !

        वही जिसका सीरियल नंबर 002001 है।।

👧   हां वही।

        पर तुम्हें कैसे पता ?


👦   अरे यार तुम ही तो बताती हो।

        हर बार एक ही कहानी सुनाती हो।।

        जब मैं कॉलेज ज्वाइन करने आ रही थी ना,

        मेरे पापा ने शगुन समझ कर दिया था।

        देखो-देखो !

        इसका नंबर भी कितना लकी है 002001

        और अब पास आउट होने वाली हो,

        आज भी नोट वहीं का वहीं

        मोबाइल कवर में बंद।

        क्या 002 क्या 001?


👧   तुम ना, बस ताने मारते रहना।

        हां मगर,

        मेरे पापा की किसी भी चीज को

        बकवास मत कहना।।

        मैं चली।


👦   अरे कहां?

👧   मेरा भी घर है।

👦   चलो तुम्हें, मैं छोड़ देता हूं।

        गिले-शिकवे का पिटारा 

        अब यहीं तोड़ देता हूं।।

        इसी बहाने स्कूटी भी तुम को अलविदा कह देगी।


👧   अरे ये मैट फिनिश !

        किसकी है?

👦   वो.....वो ना..... दोस्त की।

👧   और तुम्हारी ?

👦   अ.....अ.....अ.....

👧   सच बोलो।

        पेट्रोल नहीं था ना।

        क्यों करते हो यह सब ?

        हम पैदल भी तो साथ चल सकते हैं।

        हाथों में लिए हाथ तेरा,

        कहीं दूर निकल सकते हैं।।


👦  तुम्हारी यही बातें ना,

       दिल में घर कर जाती हैं।

       खुद को कितना भी संभालूं,

       मुझको दर-बदर कर जाती हैं।।


👧  अच्छा अब चलो भी,

       और हां जरा धीरे-धीरे चलाना।

       माना कि सड़क गड्ढों में है 

       पर आराम से ब्रेक लगाना।।

       कितनी भी देर क्यों ना हो !

       सफर का मजा आएगा।

       हम-तुम जब भी साथ होंगे,

       वक्त काटेगा नहीं, कट जाएगा।।


👦  इतनी प्यारी-प्यारी बातें

       पहले ही कर लेती।

       मैं तड़पता ही क्यों!

       जब दर्द ही ना देती।।

       अच्छा सुनो !

       हमारे बीच बैग है क्या ?


👧   हां क्यों ?


👦  कोई नहीं !

       कंधे पर सिर रखने और

       स्कूटी के बैक सपोर्ट से,

       कमर तक हांथ आने में,

       वक्त तो लगता ही है।।


👧   अब बहुत ज्यादा हो रहा है तुम्हारा।

        थोड़ा लिमिट में हां !

👦   ज्यादा ही तो है, यह जो बह रहे हैं

        न जाने, मेरे जज्बात तो नहीं।

        तुम हर बार जो साथ होते हो,

        यह महज़ इक इत्तेफाक तो नहीं।।


👧   रुको-रुको-रुको बस यहीं तक

        चौराहे से मुड़ते ही मेरा घर है।

        बहुत हुआ अब साथ हमारा,

        मैं निकलती हूं इधर, तुम्हारा रास्ता उधर है।।


👦   तो तुम्हें घर तक छोड़ देता हूं !


👧   नहीं नहीं बिल्कुल नहीं

        वो, चौराहे पर चार लोग 

        जो, बगुला बने बैठे हैं ना

        उनके सवालों का जवाब

        हाय, तौबा-तौबा !

        मेरे बस की तो बात नहीं।

        चलो निकलो, अब यही से

        तुम्हारे जज़्बात, जज़्बात !

        और मेरा कोई जज्बात नहीं।।


👦   अच्छा सुनो,

        इधर देखो तो सही !

        चलो बाय,

        ऊऊऊऊउउउउम्मम्ममममामा !!


👧   अरे, ये क्या कर रहे हो ?

        सामने शर्मा अंकल की मिठाई की दुकान है।

        ऊंची दुकान में बैठे वो फीके पकवान हैं।।

        कहीं देख लिए तो,

        मार-मार के मुंह सुजा देंगे।

        तीन दिनों से पड़ा समोसा

        मिर्ची संग मुंह में घुसा देंगे।।

        फिर करते रहना

        ऊऊऊऊउउउउम्मम्ममममामा !

        ऊऊऊऊउउउउम्मम्ममममामा !!

        अच्छा चलो, अब चलती हूं।

        कल फिर, वहीं पर मिलती हूं।।

        .................................................बाय-बाय!


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संजीव शाकिर

केनरा बैंक, तेलपा छपरा

संजीव शाकिर














Comments

  1. बेहतरीन विकल्प से जुगलबंदी।
    बहुत ही सामयिक।

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    1. क्या लिखूं किस्से और कहानियां
      बेहतर है लिख दूं जिंदगानियां

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  2. It seems like true lines with true incident and true feeling with intense emotion and a sweet & sour combination of words. 🤗🤗😊😊☺☺🥳🥳🥳🥳🥳🥳

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    1. Hahaha......Mja aa gya pdh ke dost...very nice.....

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    2. अपना कीमती वक़्त देने के लिए शुक्रिया भाई जी

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  3. Bahut hi sunder bhiya ji

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SANJEEV SHAAKIR

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