दास्तान-ए-दिल
खो गए क्या?
जैसे बारिश की बूंद समंदर में खोती है।
या फिर सो गए क्या?
जैसे नन्ही बच्ची मां की गोदी में सोती है।।
खैर छोड़ो,
अब इतनी भी फिक्र, क्या करना।
जो लौटे ही ना,
उसका ज्यादा जिक्र, क्या करना।।
तेरी बहकी-बहकी बातें
अब भी याद आती हैं।
वो भीनी-भीनी सी मुलाकातें
मुझे बहुत तड़पाती है।।
वो तेरा पास बैठकर
कोहनी मारना।
जोर की लगने पर
प्यार से पुचकारना।।
चार कदम चलते ही,
तेरा ऑटो को हाथ देना।
भैया ज्यादा दूर नहीं,
बस पीवीआर पर रोक लेना।।
ऑटो से उतरते ही
तेरा पानी पुरी खाना।
ये क्या भैया, सादा-सादा
जरा तीखा और मिलाना।।
एक कड़क गोलगप्पा,
मेरे होठों के पास लाना।
मेरे "अ-आ" करते ही
झट से गप कर जाना।।
हां सब याद है मुझे,
पर क्या तुम्हें भी?
बैठती थी मेरी गोद में,
और देखती थी उसे भी।।
आखिर क्या मिला तुझे,
मुझे बर्बाद करके।
हां मैं तड़पा बहुत मगर,
तुझे याद करके।।
और तेरा क्या हुआ?
अरे ओ जानेमन।
क्या हुई तू आबाद?
खुद को आजाद करके।।
जो मेरा हो न सका,
वो तेरा क्या होगा?
तू भी तड़पेगा एक दिन,
तब यह फैसला होगा।।
हां, ये मैंने ही कहा था उससे
तू पास जिसके भी गई थी।
वो बंदा रिस्तों का बड़ा पक्का था,
भले ही, दोस्ती नयी-नयी थी।।
अब भी वो जिगरी मेरा है
तू जाने कहां पर खो गई?
तेरी यादें रूह में जिंदा है
बस तू रगों में सो गई।।
खैर छोड़ो,
अब इतनी भी फिक्र, क्या करना।
जो लौटे ही ना,
उसका ज्यादा जिक्र, क्या करना।।
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संजीव शाकिर........🖋️
केनरा बैंक, तेलपा छपरा
🙏🙏🙏🙏🙏
संजीव शाकिर |
Bhot bdia likha hai Bhai...
ReplyDelete🙏
Deleteप्रेम में पाने की इच्छा नही समर्पण और सिर्फ समर्पण होना चाहिए
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआप के समय और स्नेह के लिए धन्यवाद
Deleteवाह वाह बहुत ही खुबसूरत !!
ReplyDelete🙏शुक्रिया🙏
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDelete🙏
DeleteDepth feeling... Beautiful narration of reality. ☺
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete🙏
ReplyDeleteDil ko chone wali
ReplyDeleteआपकी कीमती वक्त के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
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