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कोरोना

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तुम में और कोरोना में कोई साठगांठ है शायद, जहां से भी गुजरते हो लोग गुजर जाते हैं। वहां कोरोना की आह में और यहां तुम्हारी चाह में। तड़प दोनों में उठती है, वहां दर्द की कराह में और यहां इश्क के निबाह में।। चलो अच्छा तुम ही बताओ कुछ अपनी आपबीती सुनाओ। तुम कहती थी मैं ऐसी हूं किसी के ना जैसी हूं। फिर ये कैसा कारोबार है जहां मौत का व्यापार है। तुम जिसके भी पास होती हो उसका जीना दुश्वार है।। तुम दोनों साथी हो या सौत एक में जीवन, एक में मौत। यहाँ दिल जंगल में खोना है वहां चार-दीवारी में सोना है। यहां हाथों में हाथ, तो जन्नत है वहां हाथ मिलाकर धोना है। यहां जेबों में खतों की खुशबू है वहां सैनिटाइजर ढोना है। यहां दीदार से दिन कट जाता है वहां नकाबपोश होना है।। जब सब है बेहतर, फिर दिल क्यों टूटा क्या दिल नहीं ये खिलौना है ? कुछ तो सोचो, कुछ कहने के पहले अपने,अपने होते हैं इन्हें, कभी न खोना है।। जरा गौर से सुनो कोरोना बेहतर है तुम वापस जाओ। चीनी चखने का क्या भरोसा आज मीठा कल खट्टा लग जाओ।। देश हमारा हिंदुस्तां है बसता, इसमें सारा जहां है तुम्हारी इसमें क

'स्त्री'

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                      'स्त्री'                 शाश्वत सत्य तुम इस जगत का मान हो संपूर्ण सृष्टि का सम्मान हो, तुम हो दृष्टांत हर क्षेत्र में तुम अभिव्यक्ति हो, अभिमान हो। तुम मेरा संसार हो तुम ही मेरा घर द्वार हो, तुम से है, अस्तित्व मेरा तुम प्यार हो, परिवार हो। तुम करुणा की जननी हो तुम हो ममता की मूरत, हर भाव तुम्हारा अगोचर है प्रत्यक्ष के परोक्ष में, छिपी है ऐसी सूरत। अनदेखा अंजाना कितना भी कर ले कोई, तुम दिल पर दस्तक देती हो बनकर एक जरूरत।। बहन बनकर तुम सिखाती हो आचरण, कौन विसर सकता है जीवन का वो चरण। हमदम बनकर जब घर में करती हो आगमन, बच्चे-बड़े-बूढ़े सब होते हैं मगन।। तुम मां हो तुम दुआ हो, उम्र कितनी भी हो तुम्हारी हर दिल में तुम जवां हो। नन्ही सी कली तुम गोद में पली उड़ती तुम गगन में जैसे कोई हवा हो।। कानों से जो दिल में उतरती तुम वो तोतली जुबां हो। तुम हो जीवन की उपलब्धि तुम माहौल खुशनुमां हो।। संजीव शाकिर केनरा बैंक, तेलपा छपरा संजीव शाकिर

Y This Valentine D

अजी काहे की फरवरी..... एक प्रपोजल एक्सेप्ट होते ही हजारों टूट जाते हैं किसी गैर को अपनाते ही  अपने भी रूठ जाते हैं अजी काहे कि फरवरी..... सालों चले साथ  कंधे पे हाथ रख जिसके इ़़क अजनबी के आने से  वह हाथ छूट जाते हैं अजी काहे कि फरवरी..... मालामाल होने पर भी  काउंटी करते थे जो  अब कंगाल हो कर भी  उन का रिचार्ज कराते हैं  अजी काहे कि फरवरी..... चीयर्स करते वक्त  खुद को राजा समझते थे जो  अब हर डेट पर वो  उधारी के सूट में जाते हैं   अजी काहे कि फरवरी..... घर के कोने में भी बैठ कर  जो दोस्तों से बतियाते थे  अब महफिल में भी वह  मोबाइल में घुस जाते है  अजी काहे कि फरवरी..... आओ मिलकर इसका कत्ल कर दे। इन सातों दिनों को दिलों से बेदखल कर दें।। ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी। तुम होेेगे हर वक्त पास जब ना होगी ये फरवरी।।   ........................संजीव वर्मा........................ ...................ᏁᎧᏖᎧᏒᎥᎧᏬᏕ.....................

निजीकरण-एक मीठा जहर.....

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हूं............. तो शुरू करें निजीकरण, एक मीठा जहर.....✍ बात कल दोपहर तकरीबन 12:00 बजे की है जब मैं अपनी शाखा में बैठा अपने कार्य में मशगूल था तभी कालाकोट धारण किए हुए गले में सफेद पट्टी लगाए हुए एक वकील साहब (जो कि मेरे घनिष्ठ मित्र भी है) ने अचानक से आवाज लगाई.... क्या सर निजी करण के चलते इतनी तल्लीनता है या फिर कुछ और कारण है ? कानों में आवाज पड़ते ही मैंने तुरंत कंप्यूटर से ध्यान हटाकर आइए-आइए वकील साहब का संबोधन करते हुए उन्हें तशरीफ़ रखने को कहा तत्पश्चात उनके अभिवादन में तुरंत ही अपने एक सहकर्मी से चाय लाने के लिए निवेदन किया । सामने रखी कुर्सी पर बैठते ही वकील साहब ने बड़ी उत्सुकता से कटाक्ष भरे लहजे में कहा... अरे सर, तेजस ट्रेन का नाम सुने कि नहीं ? बड़ी बढ़िया ट्रेन है सुनने में आया है कि एकदम राजशाही व्यवस्था है, हां लेकिन प्राइवेट है, अब सरकारी का क्या कहें आप तो जानते ही हैं, सोच रहे हैं अब अगली बार इसी में यात्रा करेंगे। इतनी देर में मुझे समझ आ चुका था कि एक सरकारी मुलाजिम के प्रत्यक्ष सरकारी कुर्सी पर बैठकर निजी करण का दलील देते हुए राष्ट्रीयकरण का चीर हर

धक~धक

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सुर्ख गाल, मदमस्त निगाहें बहकी चाल, ये शोख अदाएं रहते हैं ये सब, अपने ही मद में है मजा ही किया, बंध जाएं जो हद में ना जाने तुम पे, इल्जामात ये कितने हुए रूबरू जितने, कत्ल हैं उतने है तुमसे मेरी, बस ये इल्तिजा अब करो रहम, दो मुझको सजा बन हिरनी विचरों, हृदय उपवन को मार दो मेरे,अंतर्मन के रावण को..... ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   ....................................................................✍️ संजीव शाकिर केनरा बैंक, तेलपा छपरा संजीव शाकिर