Posts

Showing posts from January, 2021

तो मोहब्बत है !

Image
तो मोहब्बत है ! जुबां को कहना पड़े फिर इश्क़ कैसा ? आंखों से बयां हो, तो मोहब्बत है ! ग़ुरबत में सजदे लाज़िमी हैं मगर  उसकी भी दुआ हो, तो मोहब्बत है ! दार के दरवाजों से लेकर दरीचों तक सब, खुले के खुले रहते हैं। उसके दर पे दस्तक देने से भी,  वो गर मुझसे जुदा हो, तो मोहब्बत है ! समंदर के थपेड़ों ने डुबोई हैं, ना जाने, कितनी ही कश्तियां, फिर भी अब किसी कश्ती का दिल  बलखाती लहरों पे ही फ़िदा हो, तो मोहब्बत है ! जमीन पर टूट कर बिखरते हैं शाख़ों से पत्ते, आंधियों के चलने से। मगर मुरझायी कलियाँ, जब हवा के झोंकों से जवां हो, तो मोहब्बत है ! मेरी तक़लीफों को भी, कोई तक़सीम करे मगर, यह मुमकिन ही कहां लिए फिरते हैं, हंसी होंठो पे जो,  दिल उनका दुखा हो, तो मोहब्बत है ! संजीव शाकिर ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   YOUTUBE- https://youtu.be/vLT-KbE83os ....................................................................✍️

रक़ीब

Image
उससे मिलने को तो, वो, उसके घर जाती है मैं, गली से भी जो गुज़रू, तो मुक़र जाती है कुछ तो बेहतर होगा, यक़ीनन उसमें, मुझसे मैं तुझ पर मरता हूँ, तू, उसपे मर जाती है ख़्वाब में भी कभी उसे, यूं, बेरिदा नहीं किया है नज़ाकत तेरी, जो, दिल में, उतर जाती है मेरी,  तक़दीर में,  लिखा है,  राएगाँ होना पर "आह" जो निकले तिरी, आंखे भर जाती हैं तू चाहे मुक़र्रर कर, कोई भी ताज़ीर, मुझे   मेरे हम्द में, हर बार तू, सज-संवर जाती है तुझे अब और जानने की, ख्वाहिश ही नहीं है भुलाऊं कैसे, इस ख़ौफ़ से, रूह डर जाती है मेरे जनाजे के सफ़र से, है, क्या फ़रक उसे जैसे वक़्त गुज़रता है, वो भी, गुज़र जाती है यूं छोड़ कर उसे, वापस आने से पहले, मैं खड़ा रहता हूं वहीं, जहां तक, नज़र जाती है किसी ग़ैर से गुफ़्तगू तिरी, जो देख ले शाकिर रात की चढ़ी, एक झटके में, उतर जाती है  ................................................................................ बेरिदा = घूंघट के बिना राएगाँ = बर्बाद ताज़ीर = सज़ा हम्द = ख़ुदा की तारीफ मुकर्रर करना = तय कर देना, सुना देना . ....................................................................

जज़्बात

Image
तड़प बेशक उठती है, शाम को, तेरे घर जाने के बाद अब हाथ हिलाकर क्या होगा, यूं रेल गुजर जाने के बाद यक़ीनन मेरे सिवा और भी हैं, तुम्हारे चाहने वाले अंजुमन-ए-आरज़ू है कि, लौट आना, मगर जाने के बाद क्या कहा, अब नहीं मिलोगे, कोई फर्क नहीं पड़ता तुमको  चल झूठी, आओगी तुम, क़ब्र पर, मेरे मर जाने के बाद परवाह है, उनकी ही हमें, जो ख़ुद ग़ैरों में मशग़ूल हैं महफ़िलों में, तन्हा-तन्हा हैं, मुझसे बिछड़कर जाने के बाद मेरे ख्वाबों की दुनिया न जाने कब उसे झूठी लग गई ऐतबार होगा, बेशक उन्हें, इनके बिखर जाने के बाद तय नहीं हो पाता सफ़र, अमूमन, दो पलकों के दरमियान क्या ख़ाक, मंज़िल मिलेगी अब, पटरी से उतर जाने के बाद क्यों दिल नहीं लगता, ज़रा भी, तू ज़रा सा, मुंह जो मोड़ ले दुनियां दफ़न कर चलता बनूं, दिल करे, दफ्तर जाने के बाद संजीव शाकिर केनरा बैंक, तेलपा छपरा।। ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   ....................................................................✍️ संजीव शाकिर