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Showing posts from March, 2021

तो होली है !

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संजीव शाकिर सारी रंजिशें भूलकर गले लगाओ तो होली है यूं ही खिड़की पर देखकर मुस्कुराओ तो होली है रंग-ओ-गुलाल सा उड़ेंगे हमारे इश्क़ के क़सीदे 'मां' रहने पर भी शाम को घर आओ तो होली है यार-रिश्तेदार घर-परिवार हर जगह से फोन आए तुम किसी और नाम से घंटी बजाओ तो होली है रीमिक्स,पॉप पर बहुत थिरके होंगे पांव तुम्हारे अब जो फगुआ गाकर ठुमका लगाओ तो होली है बहुत चखी तुम्हारी जूठी बाइट मकाँ से दुकाँ तक अपने हाथ की बनी गुजिया खिलाओ तो होली है ग़ालिबन! सूरत-ए-हाल नहीं तुम्हारे बस में मगर ऐविं! इक-दूजे के रंग में रंग जाओ तो होली है दस्तरस में है शाक़िर तिरे फिर अलम की है बात क्या मैं नीर सा बहूं तुम नाव बन जाओ तो होली है संजीव शाकिर ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   YOUTUBE- https://youtu.be/vLT-KbE83os ....................................................................✍️

इब्तिदा-ए-इश्क़

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इब्तिदा-ए-इश्क़ तुम्हारे दूर चले जाने से तुम्हें खोने का डर बना रहता है  क़रीब तुम बैठे भी रहो तो यक़ीनन मेरा घर बना रहता है तुझे ख़ौफ़ है किस बात का जान जब क़दम क़दम पर हूं साथ तेरे रख हौसला और फिर देख तू कैसे ये हसीं सफर बना रहता है महज़ बातों का मेरे ख़्याल छोड़ जरा जज्बातों पर भी गौर कर तक़लीफ़ो में भी जो साथ हो, बेशक वो हमसफ़र बना रहता है दरख़्तों की डालियां जो तुझे छांव देने के ख़ातिर हैं झुकी हुई वो मुस्कुरा लें कितना भी पर ग़ालिबन दर्द-ए-जिगर बना रहता है तू साथ है, मेरा अक्स बन कर और मेरे अश्कों में है घुली हुई हो हर्फ़ जुदाई की जैसे ही पलकों पर समंदर बना रहता है तेरे हुस्न पे मैं मायल हूं और तेरी सीरत का मैं कायल भी पिघलती मोम में भी जलने का, जलाने का हुनर बना रहता है पतझड़ ने जिन पेड़ों को उनकी पत्तियां लूट कर बेआबरू किया मौसम के करवट बदलते ही बसंत में वही शजर बना रहता है उन चार लोगों की है बिसात क्या?  यार! अब तेरे मेरे दरमियां जिनकी जुबां कितनी भी शक्कर हो पर दिल में ज़हर बना रहता है आ, तू पास आ, मिरे साथ चल, लिए हाथों में यूं ही हाथ मेरा तेरे जाने के बाद भी भीनी खुशबू का असर बना