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Showing posts from December, 2020

बैंकवा में का बा.....

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का बा... बैंकवा में का बा... मेहरारू पंजाब में बाड़े  लड़का पढ़त बा दिल्ली मा  हम ससुरा रांची में बानी  का रखल बा जिनगी मा  ई भागदौड़ धूपाधापी  जिव के बड़का जंजाल भइलबा जन्मभूमि बिहार रहिल,  जिंदगी ससुरा बंगाल भइलबा का बा...इहवां... दुई रोटी के चक्कर में  भारत भ्रमण पर निकलल बानी  जमा निकासी लोन सोन के  चक्रव्यूह में जकड़ल बानी  बीबी, बच्चा, गांव, देश  छोड़ छाड़ पगलायल बानी  सरकारी नौकरी के लाने बैंकवा में आयल बानी ना तो बैंकवा में का बा का बा हो, रउवा तो तीसन साल से बानी,  कुछ मीलल... का ट्रांसफर... उ तो मिलबे करी, और कुछ ना मिलल,  आंय, ना मिलल... मिलबो ना करी पासबुक, डी-डी, एफडी छपतय छपतय मरजाईब हम   हे चाचा,ले जा हो, केकर है,  गला फार चिल्लाईब हम  येतनव पे जब ना सुननी  तब धीरे धीरे बौराईब हम  ऊ दिन बबुआ दूर नईखे  जब फोटू में टग जाईब हम   रख लिहा "दू" मिनट के मौन फिर...   राम नाम सत्य है... लॉगिन डे, महा लॉगिन डे  कौनव ना कौनव दिन बा रोज बुड़बक बनइके पॉलिसी चिपकावा  अउर का तू करबा दोस  एसआईपी जीवन बीमा कै  कोर बैंकिंग से टक्कर बा जमा-निकासी में का रखल बा  इहां फौरन ट्रिप के

क्यूँ.....?

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हर बार "क्यूँ" का जवाब,आख़िर "क्यूँ" नहीं होता  बेशक क़रार है मुझे,पर दिल को सुकूँ नहीं होता मंडराते रहते हैं जो बादल,चांद की चाहत में  टूटकर,यूं,जमीं पर गिरना महज़ जुनूँ नहीं होता  हर घड़ी ख़तरे में रहता है मेरा रेत का महल  लहरें ढहा जाती जो साहिल रूबरू नहीं होता   अपना रिश्ता भी वैसा है,जो है शाख़ का शजर से वो खड़े रहें हम कट जाए,हां बस यूं नहीं होता ख़ैर भूलें सारी बातें,फ़क़त इतना याद रखें  गर ज़ख्म अपने ही लगाएं फिर वो रफ़ू नहीं होता …...................................................🖋️ संजीव शाकिर केनरा बैंक, छपरा …...................................................🖋️ ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   YOUTUBE- https://youtu.be/2QM595mwscI ....................................................................✍️ संजीव शाकिर                                                         

हाल-चाल ?

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परवाह कब थी उसे जो मेरा हाल-चाल पूछती और कुछ नहीं तो सीने में जलता मशाल पूछती मेरी फ़िक्रमंदी से तो उसकी बेफिक्री बेहतर जो फुर्सत होती उसे तो बेशक बेमिसाल पूछती और सुनाइए कैसे हैं? खैरियत! सब पूछते हैं ये गवारा नहीं था,तो कम से कम इंतकाल पूछती ख़ुमारी में भी शुमार था,यूं बेहिसाब जिक्र तेरा वो भूल गई होगी,वरना,ब-ख़ुदा कमाल पूछती यूं तो नहीं मनाती "दिवाली" बारूद जलाकर वो हां मगर,गोरे गाल पर लगे,लाल गुलाल पूछती …...................................................🖋️ संजीव शाकिर केनरा बैंक, छपरा …...................................................🖋️ ....................................................................✍️ INSTAGRAM- http://www.instagram.com/sanjeev_shaakir FACEBOOK-  http://www.facebook.com/sanjeevshaakir   YOUTUBE- https://youtu.be/2QM595mwscI ....................................................................✍️ संजीव शाकिर