हमनफस~हमनवा
तुझसे बिछड़ कर, तेरे और पास, आ गया हूं मैं। बन भंवरा कुमुदिनी बिच, जैसे समा गया हूं मैं। तमतमा रहा है बदन, अहल-ए-तपिश की रूह है। मर्ज-ए-बुखार नहीं, गर्म होंठों से चूमा गया हूं मैं। बेशक तू दूर जा, मुझसे और मेरी यादों से भी। आईना देख, तेरे तबस्सुम में भी छा गया हूं मैं। तुम मिलोगी, कुछ कहोगी इतनी तो मुरव्वत होगी। मिलके गई जिस खामोशी से मुझे, बौरा गया हूं मैं। क्या? तुम मुझे याद करती हो। अब भी, सच में! बस भी करो, ख्वाबों में भी तेरे दफना गया हूं मैं। कल मेरी, आज उसकी, और कल का पता नहीं। हमनफस, हमदम, हमनवा देखो पगला गया हूं मैं। sanjeevshaakir.bolgspot.com ............✍️✍️✍️ संजीव शाकिर केनरा बैंक, छपरा 🙏🙏🙏🙏🙏 संजीव शाकिर