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Y This Valentine D

अजी काहे की फरवरी..... एक प्रपोजल एक्सेप्ट होते ही हजारों टूट जाते हैं किसी गैर को अपनाते ही  अपने भी रूठ जाते हैं अजी काहे कि फरवरी..... सालों चले साथ  कंधे पे हाथ रख जिसके इ़़क अजनबी के आने से  वह हाथ छूट जाते हैं अजी काहे कि फरवरी..... मालामाल होने पर भी  काउंटी करते थे जो  अब कंगाल हो कर भी  उन का रिचार्ज कराते हैं  अजी काहे कि फरवरी..... चीयर्स करते वक्त  खुद को राजा समझते थे जो  अब हर डेट पर वो  उधारी के सूट में जाते हैं   अजी काहे कि फरवरी..... घर के कोने में भी बैठ कर  जो दोस्तों से बतियाते थे  अब महफिल में भी वह  मोबाइल में घुस जाते है  अजी काहे कि फरवरी..... आओ मिलकर इसका कत्ल कर दे। इन सातों दिनों को दिलों से बेदखल कर दें।। ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी। तुम होेेगे हर वक्त पास जब ना होगी ये फरवरी।।   ........................संजीव वर्मा........................ ...................ᏁᎧᏖᎧᏒᎥᎧᏬᏕ.....................